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मुजफ्फरपुर बेशर्मी कांड: कभी सपने में भी 'शर्म' आया है?

bihar-muzaffarpur-rape-kand-sapne-me-sharm रेपिस्टों की बहार है...फिर भी... भ्रष्टाचार की भरमार है...फिर भी... बेरोजगारी से युवाओं में हाहकार है...फिर भी... क्या करें! गरीब, लाचार, बेबसों को बस उन्हीं से अच्छे दिनों की दरकार है...फिर भी... उनके लिए अहंकार, ढिठई, और बेशर्मी, जैसे शब्द अब कुछ मायने नहीं रखते इसीलिए इन शब्दों का इस लेखन में इस्तेमाल कर ज्यादा इसे लंबा खींचने की जरुरत नहीं। सीधे मुद्दे की बात पर आते हैं। पिछली रात ख्याल आया कि अगली सुबह तो ऑफिस से छुट्टी है तो क्यों ना इस दिन दिलबर को खुश किया जाए और उनके साथ गर्व की अनुभूति कराने वाले किसी ऐतिहासिक विरासतों को जाकर निहारा जाए, चकाचौंध वाली किसी बाजार में घूमा जाए और रात को किसी होटल में जाकर अंग्रेजी डिनर का स्वाद उठाया जाए। सुबह के रोमांचकारी विचारों से ओत-प्रोत आंखें अभी बंद ही हुई थी कि अचानक कानों में एक साथ कई सिसकियां सुनाई देने लगीं। मैं चौंक गया और मुझे लगा कि मेरी आंखें खुली हुई हैं। सामने थीं कई सारी छोटी-छोटी बच्चियां जो किसी उजड़े हुए बाग में सूखे और मसले हुए फूलों की तरह बिखरी पड़ी थी। उन्हें देख